Wednesday, April 2, 2014

दोस्ती तेरी मेरी

                                                    दोस्ती तेरी मेरी 

आँखों  में तेरी देखा ,मैंने अपने बचपन का साया ,
चंचल सी तेरी बातों में , भूला मैं ,क्या खोया क्या  पाया।

मासूमियत की  चादर ओढ़े तेरा हँसता सा चेहरा,
बोलती  सी आँखों में बेफ़िक्री का पहरा ।

अकेलेपन  की  अँधेरी कुटिया  में ह्रदय  जब  रोया ,
तेरी  स्मृतियों को आँखों में सहेज के सोया ।

निश्छल सा तेरा मन , तेरी  अलबेली  बातों  का  मेरे  मन  में  डेरा,
तेरी शरारत और अल्हड़पन  से, जी ,उठता है मन  मेरा ।

आकांक्षाओं  के  उधेड़बुन में राहत की ठंडी  बयार बन तू आई,
अनायास ,अकारण सी मुस्कान बनकर तू कभी कभी मुख पे छाई ।

गर्दिश के रास्ते पे चलते ,तलाशें आँखें मेरी जब अपना   ,
बच्चों  सी  सहज बातें , सींचें  सूखा  दिल  मेरा ।

स्वप्निल संसार की परिकल्पना में ,मैं तेरा साझा
ऊंट पटांग सी  बातों  में ,  अनोखा  सा मज़ा ।

अज़ीबो गरीब  सी ख्वाहिशों  पे बातें  तेरी मेरी अलहदा ,
दोस्ती  तेरी  मेरी  औरों से  ज़ुदा | |

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