Saturday, December 7, 2013

प्रेम - २

प्रेम - २

मेरा निर्जन जीवन ,ये ख़ालिस अकेलापन ,

प्रेमाकुल ह्रदय और ये व्याकुल मन,
किसी अपने जैसे की तलाश की ये तड़पन ,
स्वजनों के प्रेम पाश को नकारती ये उलझन ।

माँ का आँचल ,वो लड़कपन ,छूट गया वो बचपन ,
मित्रों का साथ ,वो परिहास ,छूटा वो निकर्षण ,
निर्दोष ,निर्मल मन ,मासूम चेष्ठाएं  ,सुंदर स्वपन,
रह गई अब ,अंधी दौड़ ,अकांक्षाओं का उधेड़बुन ।

ये चाहनाएँ ,ये असीम इच्छाएं ,लो आया यौवन ,
छूटा था बचपन ,असहज था मन ,
बहुप्रतीक्षित ,क्या ये ही है यौवन ,
निः स्पृह मन में सुंदर दिखने की भावनाओं का अंकुरण ,
दर्प जगाता ये दर्पण ,सरलता पर अहं का अन्वलोपन ।

कुछ अभिलाषाएं ,कुछ पाने का जुनून ,
मासूमियत को कुचलता ख्याति का पागलपन ,
भाग्य से ,लड़ लेने का पैदा हुआ था अभिमान ,
पर कहाँ टिका है यहाँ किसी का गुमान ।

ठोकर लगी ,बिखरे स्वपन ,और  ये अंतहीन स्पर्धा ,
हार मिली ,कुंठित हुआ ह्रदय ,मन में व्याप्त थी व्यथा ,
रह गया मैं ,मेरा अकेलापन और ये खालिस सूनापन ,
शिकस्त से टूटे ह्रदय का ये क्रंदन ।

प्रश्नों से छलनी हुआ हृदय ,निष्ठुर हुआ मन ,
पलायन के रास्ते भागा ,मैं ,ह्रदय का हुआ संकोचन ,
तमसाच्छन्न ह्रदय में ,खोया मैं स्वयं ,
दिनों दिन ये तलाश ये भटकन ,
किसी अपने की तलाश में ये तड़पन ।

तुम आओगी ,अपेक्षित था तुम्हारा आगमन ,
मेरी तन्हाई में उल्लास का पुनर्नवन ,
रोज़ की ऐहिक दौड़ में जुनून का पुनः संचरण ,
आंखों में तुम्हारी ,अपनी जगह पाने का उतावालपन ।

अंतर्निहित सौंदर्य का ,चेहरे ,पर तेरे अद्वितीय तेज़ का प्रसरण ,
आँखें तेरी यूँ हिरणी जैसी तो नहीं ,पर कर दिया जीवन को रोशन ,
तेरी सादगी ,तेरी बेबाकी का दैनिक करता ,मैं अभिदर्शन ,
तू नहीं जानती ,पर सौंदर्य तेरा ,मेरे ह्रदय का स्पंदन ।

छुप के दूर से तेरा दीदार करता मेरा निर्वचन ,
झुकी नज़रों से ही सही ,स्वीकारती तू मेरा अभिवादन ,
ना ही चाहिए तेरा ,समर्पण ,ना ही तेरा संस्पर्शन ,
ना ही तेरी भावनाओं का सम्प्रेषण ,ना ही मेरे प्रेम का सम्मोदन ,
ना मैं और ना तू करे मेरा अनुसरण ,
ना करा जाए निःस्वार्थ प्रेम का उदघाटन ।

तेरे  सौंदर्य पाश से आसान नहीं है निष्कर्षण ,
तू यूँ दूर हो भी गई तो ,स्मृतियाँ तेरी करेंगी प्रेम का अभिपोषण ,
तेरी यादों के सहारे होगा जीवन का निर्वहण ,
हुआ मेरे दिल में प्रदीप्त प्रेम का अंकुरण ,
मृत्यु ही करेगी इस बंधन का निस्तारण । ।




No comments:

Post a Comment