दोस्ती तेरी मेरी
आँखों में तेरी देखा ,मैंने अपने बचपन का साया ,
चंचल सी तेरी बातों में , भूला मैं ,क्या खोया क्या पाया।
मासूमियत की चादर ओढ़े तेरा हँसता सा चेहरा,
बोलती सी आँखों में बेफ़िक्री का पहरा ।
अकेलेपन की अँधेरी कुटिया में ह्रदय जब रोया ,
तेरी स्मृतियों को आँखों में सहेज के सोया ।
निश्छल सा तेरा मन , तेरी अलबेली बातों का मेरे मन में डेरा,
तेरी शरारत और अल्हड़पन से, जी ,उठता है मन मेरा ।
आकांक्षाओं के उधेड़बुन में राहत की ठंडी बयार बन तू आई,
अनायास ,अकारण सी मुस्कान बनकर तू कभी कभी मुख पे छाई ।
गर्दिश के रास्ते पे चलते ,तलाशें आँखें मेरी जब अपना ,
बच्चों सी सहज बातें , सींचें सूखा दिल मेरा ।
स्वप्निल संसार की परिकल्पना में ,मैं तेरा साझा
ऊंट पटांग सी बातों में , अनोखा सा मज़ा ।
अज़ीबो गरीब सी ख्वाहिशों पे बातें तेरी मेरी अलहदा ,
दोस्ती तेरी मेरी औरों से ज़ुदा | |
आँखों में तेरी देखा ,मैंने अपने बचपन का साया ,
चंचल सी तेरी बातों में , भूला मैं ,क्या खोया क्या पाया।
मासूमियत की चादर ओढ़े तेरा हँसता सा चेहरा,
बोलती सी आँखों में बेफ़िक्री का पहरा ।
अकेलेपन की अँधेरी कुटिया में ह्रदय जब रोया ,
तेरी स्मृतियों को आँखों में सहेज के सोया ।
निश्छल सा तेरा मन , तेरी अलबेली बातों का मेरे मन में डेरा,
तेरी शरारत और अल्हड़पन से, जी ,उठता है मन मेरा ।
आकांक्षाओं के उधेड़बुन में राहत की ठंडी बयार बन तू आई,
अनायास ,अकारण सी मुस्कान बनकर तू कभी कभी मुख पे छाई ।
गर्दिश के रास्ते पे चलते ,तलाशें आँखें मेरी जब अपना ,
बच्चों सी सहज बातें , सींचें सूखा दिल मेरा ।
स्वप्निल संसार की परिकल्पना में ,मैं तेरा साझा
ऊंट पटांग सी बातों में , अनोखा सा मज़ा ।
अज़ीबो गरीब सी ख्वाहिशों पे बातें तेरी मेरी अलहदा ,
दोस्ती तेरी मेरी औरों से ज़ुदा | |
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